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श्री शुभ

“श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा ;
घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर काय, करोड़ सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली।


Curved trunk, huge body like, great genius like crore sun.

॥ श्री गणेशाय नमः ॥

श्री लाभ

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥”
मेरे प्रभु, हमेशा मेरे सारे कार्य बिना विघ्न के पूरे करें (करने की कृपा करें)॥


Lord, always do all my work without hindrance (please do)

वसुधैव कुटुम्बकम् is सनातन धर्म का मूल संस्कार तथा विचारधारा है

अर्थ है- “धरती ही परिवार है”

Earth is family

अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम् । उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥

अर्थ – यह अपना बन्धु है और यह अपना बन्धु नहीं है, इस तरह की गणना छोटे चित्त वाले लोग करते हैं। उदार हृदय वाले लोगों की तो (सम्पूर्ण) धरती ही परिवार है।

Only people with narrow minds think If he is my brother and he is not. For those with a generous heart, the (entire) earth is the family.

“All differences in this world are of degree, and not of kind, because oneness is the secret of everything.” by Swami Vivekananda

“इस दुनिया में सभी मतभेद मात्रा के हैं, और एक तरह का नहीं, क्योंकि एकता ही सब कुछ का रहस्य है।” स्वामी विवेकानंद द्वारा

विद्या विवादाय धनं मदाय शक्तिः परेषां परिपीडनाय ।

The (behavior) of the wicked and the sages is the opposite. While the learning of the wicked is for dispute, money for pride and power for persecution;

खलस्य साधोर्विपरीतमेतत् ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय ॥

Satpurush’s (humanitarian) knowledge is for knowledge, money, charity and power (for others) protection.

दुर्जनों और सत्पुरुषों का (व्यवहार) विपरीत होता है । जब कि दुर्जनों की विद्या विवादार्थ, धन गर्वार्थ और शक्ति परपीडन के लिये होती है;

सत्पुरुष की विद्या ज्ञानार्थ, धन दानार्थ और शक्ति (अन्य के) रक्षण के लिये होती है ।